मीरा
कोई नहीं है "गिरिधर" जैसा , भूल तुझे क्या पाऊ मै ?
देख लिया जग सारा मैंने , तुझसा मीत न पाऊ मै !
नीर - क्षीर का ज्ञान मिला अब , मान -सरोवर जाऊ मै !
गिरिधर हंस! बगुला जगत देर न हो तर जाऊ मै ?
जब -जब पीर परे प्रभु हम पर. किसको और बुलाऊ मै ?
सत -चित -आनंद ज्योति जलाकर , नश्वर जग सुख ना चाहू मै!
जब हैं मेरे गिरिधर -नागर, दूजा अब क्या चाहू मै ?
भाव -सागर के सुंदर मोती , सादर तुम्हे चढ़ाऊ में !!
amazing.... meera ka nischal pyar
ReplyDeletees kvita ke liye to sirf "MEERA,MEERA"
ReplyDeleteआप सभी सुधीजनों की प्रतिक्रियाएँ और प्रोत्साहन हेतु हार्दिक धन्यवाद.
ReplyDeletekya baat hai..thats too good....amazing love and dedication
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