सामान्यतः जेल का वातावरण गरीब और सामान्य कैदियों के लिए नारकीय ही होता है।जेल में कुख्यात या बड़े अपराधी छोटेअपराधियों से अपनी सेवा करवाते दिखाई देते हैं। बड़े अपराधी छोटे अपराधियों से अपने कपड़े धुलवाते , बर्तन साफ करवाते दिखयी पड़ते हैं. एक तरह से कुख्यात कैदी छोटे-छोटे अपराधियों को अपना सेवक बनाकर जेलों में अपनी सियासत चलाते हैं जिनके विरूद्ध न तो कोई कार्यवाही जेल प्रशासन कर पाता है और न ही कैदी कुछ कर पाते हैं । वहीं दूसरी और यदि हम विशेष कैदियों की बात करें तो विशेष कैदियों की मेहमान नवाजी होती है ।हाई प्रोफाईल कैदी जैल की बैरंगों में रहने के स्थान पर जेल के अस्पताल में आराम फरमाते हैं । रंगीन टी.वी., फ्रिज, कूलर यहां तक कि ए.सी. की भी सुविधा का लाभ उठाते हैं । इनके अलावा मोबाईल फोन की सुविधा भी उन्हेंसहज सुलभ होती है. जेल के खाने के स्थान पर होटल का खाना ताजे फल भी उन्हें उपलब्ध करवाए जाते हैं.
मेने नरसिंहपुर 1988 में गणेशोतसव के दौरान जेल का दौरा किया , यह जेल नरसिंहपुर स्टेशन के पास स्थित है।तब यह किशोर बंदी गृह संस्थान हुआ करता था ऊंची दीवार जिस पर कांटे की तारें लगी थी। इससे मुझे कड़ी सुरक्षा वाले जेल जो की बॉलीवुड और हॉलीवुड की फिल्मों में दिखाए जाते हैं याद आ गए। जेल के मुख्य द्वार पर लिखा हुआ है घृणा पाप से करो पापी से नहीं। कुछ देर रूक कर मैं आगे बढ़ी यह देखने के लिए इन ऊँची दीवारों के भीतर क्या है कुछ देर में,मैं गेट तक पहुंची जो की लोहे का बड़ा दरवाजा था। लोहे के बड़े गेट के अंदर कुछ पुलिस सिक्योरिटी तैनात थी।
नरसिंहपुर का यह बोर्स्टल जेल किशोर बंदी गृह मध्य प्रदेश का एकमात्र जेल था।यह जेल साल में एक बार गणेश स्थापना अवसर पर गजानन दर्शन हेतु पब्लिक के दर्शनार्थ खोला जाता था।जहां कोई भी गणेशोत्सव के समयगणेश जी के दर्शन हेतु जा सकता था और कैदियों द्वारा बनाई गई हस्तशिल्प कला और अन्य रचनात्मक कार्यों को देख सकता था, कैड़यों द्वारा बनायीं गयी हस्त शिल्प कला को जेल केअंदर ही प्रदर्शनी के लिए रखा जाता और उनकी हौसला अफजाई करने हेतुउन्हें उनका पारिश्रमिक भी दिया जाता। सभी किशोर न्याय व्यवस्था किशोर कल्याण के सिद्धांत पर आधारित होती है,बाल मनोवैज्ञानिकों का मानना है कि 10 से 18 वर्ष की आयु तैयार होने का चरण होती है।इन वर्षों के भीतर दिए गए अनुभव व संदेश बच्चे के व्यक्तित्व के विकास को तय करते हैं।इस लिए यह जरूरी है कि संस्था के द्वारा उपयोग से लाए जाने वाले तकनीक व माध्यमों के जाँच की जाए इन कार्यक्रमों की जाँच यह होगी कि ये हस्तक्षेप बच्चे को अपराध की जिन्दगी से धकेलने वाली ताकतों से लड़ने में मददकरते है या नहीं और अपराध की प्रकृति को रोकते है या नहीं।
सेंट्रल जेल
जेल के गेट में प्रवेश होते ही ययाति की पेंटिंग है जोकि है बहुत ही प्रेरणादायक है। उसके बाद मैडम शैफाली तिवारी के द्वारा बनाई गई महात्मा बुद्ध की पेंटिंग हृदय परिवर्तन और आत्मज्ञान तथा ध्यान पर केंद्रित है।
मध्य प्रदेश की जेलों में कैदियों की संख्या बहुत बढ़ रही है जिस पर ध्यान दिए जाने की आवश्यकता है।वर्तमान में यहां कैदियों की संख्या 1300 है जो कि एक बहुत ही चिंतनीय विषय है।अपराध और अपराधियों की बढ़ती संख्या को देखकर निश्चित रूप से बहुत ही दुख होता है।अपराध की संख्या देखते हुए ऐसा लगता है कहीं एक दिन ऐसा ना आ जाए कि अपराधियों की संख्या इतनी बढ़ जाए कि जेल भी छोटी पड़ जाए ।
कारागार सुधार गृह भारतीय कानून व्यवस्था का एक महत्वपूर्ण अंग है । नरसिंहपुर सेंट्रल जेल की जेल अधीक्षक के अथक प्रयासों के बाद यह जेल आश्रम जैसा स्थान लगता है।सफेद कुर्ता- पैजामा और सफेद टोपी पहने हुए कैदी अपने- अपने कार्यों में मग्न दिखाई दिए।सभी दिल लगाकर एकता से एकाग्रता से कार्य कर रहे थे।जब व्यक्ति कोई काम नहीं करता है तभी उसके मन में अनेकों विचार आते हैं यह भी कहा गया है खाली दिमाग शैतान का घर ।कुछ ना कुछ करते ही रहना चाहिए ।
एक कैदी को उसकी सामर्थ्य के अनुसार कार्य देना ,निश्चित ही यह कुशल प्रशासनिक अधिकारी की ही पहचान है.मैडम तिवारी के बारे में नरसिंहपुर वासियों की राय है कि उन्होंने कारागार को जन्नत बना दिया है अपराधी अब कारवास से बाहर जाना नहीं चाहते हैं। वास्तव में , शेफाली तिवारी मैडम highly intellecutal multidimentional personality की स्वामिनी हैं।