हे शारदे माँ। अज्ञानता से हमें तार दे माँ ।
माँ भगवती शारदा जो नरसिंहपुर की प्राचीन सींगरी नदी के तट पर पीपल और बरगद के सम्मलित वृक्ष के नीचे निर्मित शारदा मढिया में जीवंत स्थापित हैं। नरसिंहपुर शारदा मढिया को पुल की मढिया के नाम से भी जाना जाता है के प्रति यहाँ के जन मानस में अटूट श्रद्धा, भक्ति और विश्वास है। इस सुप्रसिद्ध माता के स्थल को अब शक्ति स्थल के रूप में जाना जाने लगा है। पहले यह छोटी सी मढिया हुआ करती थी जिसे पुल की मढिया के नाम से भी जाना जाता है परन्तु अब यह देवी के मंदिर के रूप में जानी जाती है। इसका और विस्तार तथा निर्माण कार्य अभी भी जारी है। यह मंदिर प्रांगन शिव जी का मंदिर , शनि देव की स्थापना , सिद्ध बाबा हेतु स्थान , देवी की दशकों से प्रज्जवलित अखंड ज्योति हेतु प्रथक कक्ष, धर्मशाला और वटवृक्ष से मिलकर बना है।
शहर के आडम्बरों से दूर , पंडालों , फूलों और मिठाई की दुकानों से दूर यह मढिया देवीपूजन का वास्तविक अध्यात्मिक वातावरण बनती जा रही है। बड़े बड़े पंडाल ,प्रसाद वितरण उस वातावरण को पैदा नहीं कर सकते जो भाव पूर्ण पूजा और अध्यात्मिक दृष्टिकोण करता है.इस देवी स्थल पर शाम की आरती खुले प्रांगण में विविध वाद्य यंत्रों सहित बहुत बड़ी संख्या में पधारे श्रद्धालुओं की उपस्थिति में होती है।
आज के परिवेश में पूजन का उद्देश्य और स्वरुप बदल गया है परन्तु देवी का यह स्थल आज भी वही वास्तविक आनंद को संमृद्ध करता है जो प्रारंभ कल से करता आया है।ऊपरी चमक दमक ,गरबा, डांडिया वास्तव में आज के लड़के लड़कियों के लिए रास-रंग के अवसर तो हो सकते हैं परन्तु अध्यात्मिक शुद्ध आनंद के नहीं।
आज संसार में ऐसा कोई नहीं जो शक्ति की उपासना नहीं करता हो परन्तु देवी पूजन भव्यता और ऊपरी आडम्बर से हट कर आत्मा से भाव से हो तो अवश्य ही शक्ति मन और उर्जावान बनने का प्रयास सफल हो सकेगा, इसी प्रार्थना के साथ माँ शारदा , माँ काली, माँ लक्ष्मी भक्ति भावना के जागरण की हम सभी को उर्जा प्रदान करे। जय माता दी