Wednesday, March 2, 2011

करुण रुदन

करुण रुदन  

       भ्रूण  हत्या, दहेज़, ऑनर किल्लिंग,नव विवाहिताओं  की समस्या को लोकप्रिय सम सामायिक धारावाहिक सत्यमेव जयते  करीबी से जान रहा है. विवाह दो दिलों का मेल ,दो परिवारों का मेल है किन्तु  इस मंगल कार्य का  कलंक  है ''दहेज़ का व्यापार''और यही सौदेबाजी विवाह के लिए आरम्भ हुए कार्य से आरम्भ हो जाता है 


और यही व्यापार कारण है उन अनगिनत क्रूरताओं का जिन्हें झेलने  को  विवाहिता स्त्री तो विवश है और विवश हैं उसके साथ उसके मायके के प्रत्येक सदस्य.हमारे पूर्वजो ने जिस सदउद्देश्य को लेकर कन्यादान के साथ यथाशक्ति विदाई देना शुरू किया आज उसी का विकृत रूप दहेज़ है.दहेज़ के प्रतिबन्ध  के विषय में हम चाहे जितना भी कह ले या क़ानून बना ले लेकिन यथार्त जीवन में इसका नितांत अभाव ही है .

 नव विवाहिता एक बार ससुराल में जाये तो अपने साथ हो रहे कुकृत्य की  जानकारी पति तक को समय रहते प्रकट नहीं कर पाती ही ससुराल के सभी सदस्यों की  मिली जुली साजिश को ही समझ पाती है तो मीडिया वालों  की तो बात ही और है. जब तक कोई दुघटना नहीं घट जाती.यह पुरुष -प्रधान समाज  नव -विवाहिता की बातो को  गंभीरता पूर्वक  लेने ही कहाँ देता है ? स्वयं पति अपनी पत्नी के विरोध में अपने घर के अन्य सदस्यों के साथ  साजिश में शामिल रहता है तो फिर पति के परिचितों और दोस्तों, रिश्ते नातेदारों की  तो बात ही दूर है.ससुराल में एक अनजानी लड़की अपने अरमानों को समेटे हुएकमरे में बंद  मुंह पर ताला लगा कर बेठी रहने घुटन भरे मौहोल में  जीने  विवश रहती है . ऐसे नहीं तो वेसे मरती है .मानसिक प्रताड़ना  उसका वजूद खत्म कर देता   है .  

      शशि देशपांडे के उपन्यासों ने मुंबई के परिवेश  में शादी  के  बाद बलात्कार की घटना,सरे आम  पति द्वारा पत्नी की  इज्जत  बेआबरू करना चित्रित   करने का  साहसिक प्रयास  किया है. शादी  के  बाद अन्य   मसले  और भी सम्बद्ध ज्वलंत  issues  केउदाहरण साहित्यकारोंसमाज सुधारको, राजनीतिज्ञों  और विद्वजनों के चिंतन का विषय बने हुए है. विवाह उपरांत यौनिक हिंसा जिसे वैवाहिक बलात्कार तक कहा जाता है, पीड़ित के लिए उतना ही दर्दनाक तथा विनाशकारी होता है, जितना की किसी और पुरुष द्वारा किया गया बलात्कार. लेकिन चूंकि हिंसा शादी के उपरांत पति द्वारा ही की जा रही है, इसलिए उसे अपराध की श्रेणी में नहीं माना जाता हैमनोचिकित्सक डॉकृष्णन बताती हैं की रिश्ते में श्रेष्ठता की लड़ाई ज्यादातर मैरिटल रेप की वजह बनती हैजब पति और पत्नी के बीच विवाद बढ़ता हैतो पति अपने अहम और कई बार उच्चता को साबित करने या फिर पत्नी को सजा देने के लिए उस पर शारीरिक रूप से हावी होने की कोशिश करता हैजिसके चलते वह जबरन हिंसक संभोग करता है.

 कभी-कभी एक रिश्ते को कई तरह की शारीरिक और मानसिक बीमारियां भी प्रभावित करती है. शारीरिक अस्वस्थता, अवसाद या फिर बढ़ती उम्र के कारण कई बार महिलाओं में शारीरिक संबंधों को लेकर अरुचि उत्पन्न होने लगती है. आमतौर पर देखा जाता है कि महिलाओं के मुकाबले पुरुषों को सेक्स की जरूरत या कामना अधिक होती है. इसलिए जब आदमी को सेक्स से वंचित किया जाता है, तो वह उसे अपनी मर्दानगी के अपमान के रूप में देखता है.वैवाहिक बलात्कार पर रोक लगाना संभव नहीं है, लेकिन यदि परिवार में किसी के साथ ऐसी घटना होती हो, तो पति और पत्नी दोनों को इलाज और काउंसलिंग की जरूरत पड़ती है. ऐसे मामलों में किसी मनोचिकित्सक या साइकोलॉजिस्ट से बात करना जरूरी और फायदेमंद होता है.

 दहेज़  की कभी बुझने वाली आग नव-विवाहिता को   आग लगा कर मरने पर मजबूर कर देती है  या दहेज़ लाने पर ससुराल वालों द्वारा और पति द्वारा उसकी पिटाई की  जाती है उसके सम्मान को चोट पहुंचाई जाती है दहेज़  लाना या नहींलाना  लड़की के माता पिता कि भेंट पर निर्भर करता है.

 यह लड़की के  माता -पिता के जीवन भर का संचित धन है  अपने बजट के अनुसार सभी माता पिता  शादी करते हैं. जब दुल्हन के घरवाले दहेज की मांग को पूरा नहीं कर पाते तो लड़की को शारीरिक और मानसिक रूप से प्रताडित किया जाता है। नव विवाहिता मानसिक तनाव में आकर जहरीला पदार्थ खा लेती है  और जब तक   मायके वाले उसे  अस्पताल ले जाते हैं  रास्ते में ही उसकी मौत हो  जाती है .आए दिन  मारपीट  करने की वजह से नवविवाहिता फांसी लगाकर जान दे  देती है . कभी पंखे से लटक कर अपनी जीवन लीला समाप्त कर  लेती है  कभी नींद  की गोलियां खिलाकर   चिर निद्रा में सुला दी जाती है  तो कभी  तीसरी मंजिल से नीचे धकेल कर मार दी जाती है .

    कोई दुल्हन अपनी जिंदगी क्यों ख़त्म कर  लेती है? वो भी विवाह के तुरंत बाद? विवाह तो भारतीय संस्कृति में सबसे महत्वपूर्ण संस्कार और सामाजिक बंधन होता है.विवाह  की कल्पना तो बचपन से ही माता-पिता अपने लड़कीयों के मन में भरने लगते हैं  कहानी सुनाते लगते  है कि कभी राजकुमार घोड़े पर बेठ के आयेगा और मेरी नन्ही परी को उठा के ले जायेगा. विवाह तो जीवन को स्वर्गिक सुख प्रदान करने जेसा होता है   धन लोलुपता का मृत्युजाल बुनने वाला.

  मेरी  मित्र अमिता कि शादी में उसके ससुराल वालो कि तरफ से एक लाख रूपये कि मांग थी पर उसके माता-पिता ने कहा कि हमने अपनी लड़की के लिए साडे तीन लाख केश रखा है और बाकि कपडे सोना जेवर अलग से. इस तरह  शादी  उम्मीद से ज्यादा दहेज़ में होने कि वजह से ससुराल वालों ने समझा पेसे वाली पार्टी होगी और कार और अतिरिक्त काश की  मांग कर दी. बिना माता-पिता  की  भावनाओं  की क़द्र कियेऔर शादी का अंत क्या हुआ वही मृत्यु सम पीड़ा . हलाकि इस घटना में ससुराल वालों कि लाख कोशिशों से बाद लड़की  की मृत्यु नहीं हुई पर लड़की का जीवन मृत्यु तुल्य हो गया सांस लेते बने छोड़ते.

एक  घटना  जो इंदौर  में  'ससुराल में हैवानियत " के नाम से जानी जाती है. यहाँ ये  भी स्पष्ट नहीं    हुआ  कि मामला हत्या का था  या आत्महत्या काएक नवविवाहिता संजना पति कैलाश की संदिग्ध परिस्थिति में जल जाने से मौत हुई थी . लेकिन ये निश्चित था कि मौत के पीछे ससुराल में बरपी हैवानियत थी.   संजना  को  उसकी बहन रानी गंभीर हालत में  इंदौर हॉस्पिटल लेकर पहुंची इलाज शुरू होने के कुछ ही देर में संजना की मौत हो गई. संजना की  बहन रानी अन्य परिजन ने  बताया   कि कैसे ससुराल वालों ने संजना को जलाकर मार डाला.

संजनाके ससुराल में साथ रहने वाला जेठ प्रेमसिंह कुछ समय से संजना को हवस का शिकार बनाना चाहता था. ससुराल में संजना के अलावा और कोई महिला नहीं थी इसी का फायदा उठाते हुए  दोपहर में  प्रेमसिंह ने संजना से दुष्कर्म का प्रयास किया . इस पर संजना ने पति ससुर से शिकायत की, लेकिन उसकी मदद करने के बजाए पति , ससुर  देवर भी जेठ का साथ . संजना ने शोर मचाकर पड़ोसियों को सब कुछ बताने का कहकर किसी तरह अपनी अस्मत बचाई तो ससुराल वालों ने संजना पर दबाव डाला  कि या तो प्रेम सिंह की बात मान ले वरना अंजाम भुगतने को तैयार रहे. इस दौरान विवाद बढ़ने पर ससुराल वालों ने  संजना के मायके में फोन कर ये धमकी भी दी  कि संजना को अपने घर ले जाए. फोन सुनने के करीब एक घंटे बाद छोटी बहन रानी संजना के घर पहुंची तो वह कमरे के फर्श पर बुरी तरह से जली हालत में पड़ी थी. संजना के मायके वाले उसे किसी तरह अस्पताल ले गए, लेकिन उसे बचाया नहीं पाए  जब संजना के शव को पोस्टमॉर्टम के लिए जिला अस्पताल ले जाया गया तो  गुंडों बदमाशों ने  अस्पताल में संजना की बहन उसके मायके वालों को पुलिस कार्रवाई करने के लिए धमकी दे आये .यह घटना  मुझे अन्तेर्तम तक झकझोरे हुए हैजिसका अभी तक कोई भी निर्णय नहीं हुआसमझ नहीं आता ऐसे अपराधी अभी तक  कैसे बचे हुए  हैं?

  इसी तरह के  केस मे लड़की बिलकुल निर्दोष रहती है पर उसका पति और ससुराल उसे सरे आम कुकृत्य करने पर  मजबूर करता है और नहीं करने पर जला के मार डालता है.ऐसी ही एक और इंदौर  की ही  घटना है 1960  के दशक की  जब नव- विवाहिता को उसके पति ने सरे आम थप्पड़ मारते हुए घसीट कर सड़क पर लोगों के सामने ले  जाकर  उसका मजाक बनाया  उस पर बाँझ होने के झूठे आरोप लगा कर उसे कुए में धकेलने का प्रयास किया  और एक दिन मौका पाकर  पति और सास रसोई घर में आग लगा कर अपने गाँव  निकल  गए  यह कह  कर  कि हमें तो पता ही नहीं  क्या हुआ ? वो पागल थी . नींद कि गोलियां खाती थी . गुस्सेवाली थी .गुस्से में आके उसने आत्मा हत्या कर ली .

   गुस्से में आकर कोई अपनी हत्या क्यों करेगाहत्या  करना ही होगी तो अपने दुश्मनों कि करेगागुस्सेवाले तो वो थे जिनने उस नव-विवाहिता को सूने घर में आग लगा के छोड़ दियापागल तो वो थे जो दहेज़  लाने  के कारण कभी कुए कि मुंडेर पर तो कभीभरी सड़क पर  थप्पड़ मारते थे .विद्रोह  प्रतिशोध  लेने में सहायक होता है. अपनी जान  सभी को प्यारी होती है .

  किसी महिला की विवाह के सात वर्ष के अन्दर मृत्यु हो जाती है तो मृत्यु महिला के पति या पति के नातेदारों के दुष्प्रेरण के कारण हुई है यह  न्यायलय  द्वारा माना जाता है .पति का रोज़ शराब पीकर देर से घर  लौटना,और इसके साथ ही पत्नी को पीटना , दहेज़ की मांग करना  क्रूर  व्यवहार माना जाता है दहेज़ समस्या  का सबसे बड़ा कारण समस्या है अच्छा और समझदार जीवन साथी मिलना.

  आज भी ऐसे  मामले  ignore   हो रहे हैं . पैसों के बल पुलिस को खरीदा  जा रहा है  पीड़ित और मृतक औरत के प्रति जिम्मेदार उसके पति और ससुराल   के खिलाफ कोई भी  कार्यवाही नहीं कि जाती . ऐसे लोगों को  कड़ी से कड़ी सज़ा  होने के  बजाय  पीड़ित और मृतक  औरत का मायका ही दुखों को झेलता है  और अपराधी खुले आम घूम रहे हैं अपना जीवन  मौज मस्ती पार्टियों में उड़ा रहे हैआप ही बताएं क्या औरत केवल दहेज़ पूर्ती के लिए हैं या सिर्फ शारिरीक सुख भोगने कि वस्तु मात्र है ? ऐसे लोग जो समाज में  कलंक हैं और अपने कलंकित होने कि वजह से अपनी पत्नी को भी कलंकित करते हैं  क्या  ऐसे लोगों का समाज में खला घूमना उचित है? क्या ऐसे लोगों को  दंड   नहीं  मिलना चाहिए?क्या दहेज़ के कारण होने वाले हर गुनाह को क़ानून के समक्ष लाया जा सका है ? क्या दहेज़ के हर गुनाहागार को उचित दंड दिया जा सका है ? निर्मम हत्या, शारीरिक एवं मानसिक उत्पीडन करना दहेज़ लोभीयो के लिए मात्र एक खेलवाड़ है

  आइये ,हम सब   विवाहिता स्त्री की स्थति  मज़बूत करनेदहेज़ उन्मूलन हेतु सार्थक कदम उठायेंससुराल वालों व् पति  पर लगाम कसने  दहेज़ उन्मूलन के लिए प्रत्येक वर्ग , प्रत्येक समाज, प्रत्येक  जाति  को  जागृत  करें.   दहेज़ मुक्ति   हेतु पूरे  समाज को  इसका विरोध करना होगा.

 


5 comments:

  1. dahej ko na jad se khatam kar deena chahiye,, nahi to ye saari pareshani and ye kahani chalti rahegi hamesha

    ReplyDelete
  2. दहेज मान्गना पाप है! दहेज के हत्यारो को फ़ान्सी की सजा मिलनी चाहिये

    ReplyDelete
  3. मेरा मतलब् दहेज के लिये लडकी की हत्या करणे वालो से है

    ReplyDelete
  4. दहेज की लिये लडकी की हत्या करने वालो को फ़ान्सी की सजा मिलानि चाहिये

    ReplyDelete
  5. दहेज के लोभियो को मोत की सजा मिलनी चाहिये!

    ReplyDelete