परिवर्तन: शाश्वत सत्य
"सभी सत्य पर
चले ज्ञान
के प्रकाश से
अपने मन का
हर एक कोना
प्रकाशित रखे , हे प्रभु
हमारे परिवार, समाज
और देश को
ही नहीं दुनिया
को भी अंधकार
से दूर ले
जाने वाले ऐसे ज्योतिर्मय
पथ पर ले
चले. "
हमारे देश में कई ऐसे महापुरूष हुए हैं, जिनके जीवन और विचार से हम सभी को बहुत कुछ सीखने को मिलता है। उनके विचार ऐसे हैं कि निराश व्यक्ति भी अगर उसे पढ़े तो उसे जीवन जीने का एक नया मकसद मिल सकता है।
स्वामी विवेकानंद का जन्म 12 जनवरी 1863 को कलकत्ता में हुआ था। आपके बचपन का नाम नरेन्द्रनाथ दत्त था। 'स्वामी विवेकानंद' नाम उनको उनके गुरु रामकृष्ण परमहंस ने दिया था। अमेरिका के शिकागो में आयोजित विश्व धर्म सम्मलेन में आपने भारत की ओर से सनातन धर्म का प्रतिनिधित्व किया, तथा वेदांत दर्शन का प्रसार पुरे विश्व में किया। आपने समाज के सेवा कार्य के लिए रामकृष्ण मिशन की स्थापना की।
यह सर्वमान्य तथ्य है कि विरुद्ध प्रकृति में युद्ध और समान प्रकृति में आकर्षण होता है । परन्तु सत्य हमेशा शक्तिशाली होता है. जिसके पास सच्चाई की शक्ति होती है उसे किसी बात का भय नहीं होता। इसके विपरीत जो झूठ बोलने वाला , झूठा नकली काम करने वाला होता है वो ही छल बल पूर्वक दूसरों को ठगने और लूटने के लिए चाटुकारी करता है .मृदु भाषी बनकर सामने से तो बहुत कोमल व्यव्हार करता है और पीठ पीछे चुरी भोंकने वाला होता है। जैसे की बिच्छू का अग्रभाग यानी मुंह तो बहुत कोमल विषहीन होताहै और पूंछ में जहर होताहै, ऐसे दुर्जन सज्जनों को दुष्कर्म करने को प्रेरित कर सज्जनों की समाज में छवि ख़राब करने उनसे छल पूर्वक मित्रता का स्वांग रचने वाले होते हैं।
आज जब अच्छे घर की लडकी जब अकेले घर से निकल स्कूल या कालेज जाती है तो कितने ही मनचलों की कुदृष्टि उस पर होती है। ऐसी मुश्किल की स्थिति में यदि लड़की घर से बाहर निकलना छोड़ दे तो उसकी तो पढाई -लिखाई सब ख़तम हो जाएगी . बिना पढ़ी लिखी लड़की की शादी भी बहुत कठिन होती है । अतः इस स्थिति से निपटने के लिए स्वयं लड़की को बहादुर होना पड़ता है लड़कियों को पैर की जूती समझने वालों के प्रति जब तक वह विद्रोह नहीं करती तब तक इस समस्या का समाधान भी प्राप्त नहीं कर सकती । जब वह अपनी जूती उतार कर ऐसे मनचलों के सर पर मारती है तब ही सड़क छाप मजनू उसकी गली का रास्ता छोड़ते हैं । परन्तु कितनी ही लड़कियां इसी boldness, के अभाव में (बिना काली का रूप दिखाए ) डर के कारण अपनी पढाई छोड़ बैठती है या अपनी इज्जत गँवा बैठती है और निर्दोष होते हुए भी या तो अपनी इहलीला समाप्त कर बैठती है या और अपने हाथों अपनी जिंदगी ख़राब कर लेती हैं । इस प्रकार के harassment . से मुक्ति दिलाने के लिए स्कूल ,कॉलेज में प्राध्यापक गणो ने विशेष पहल की है , महिला सेल का निर्माण किया है और विशेषज्ञों के निर्देशन में लड़कियों को पराक्रम, साहस, और निर्भयता के शस्त्र उठाने हेतु जोर शोर से अभिप्रेतित किया जा रहा है। सुशिक्षा और जागरूकता के अभाव में नारी का कल्याण नहीं हो सकता ।
विवाह नामकी संस्था परिवार, समाज और देश के कल्याण के लिए बीज के सामान होती है जो पुत्र पुत्रियों के जन्मानुसार वटवृक्ष में परिणित हो जाती है
जब तक पति-पत्नी दोनों ही सज्जन प्रकृति के नहीं होते तब तक दोनों में सामंजस्य बैठाना बहुत कठिन होता है . परन्तु यदि दोनों यदि सज्जन हो तो जीवन रुपी नैया पार बड़े ही आराम से पार हो जाती है और इस नैया में सवार परिजन भी बिना कठिनाई के किनारे पर आ जाते हैं कभी कभी दुर्जन, उनके स्वाभाव से विरुद्ध कमाऊ लड़की को विवाह हेतु षड़यंत्र कर फंसा लेते हैं और लक्ष्मी पूजन यानि दीवाली की रात को ही (पत्नी) धनलक्ष्मी के जीवन को अमावस की रात बना देते है। फिर बाहर लाख्नो दीप जलाने पर, या फटाके फोड़ने पर मन के भीतर न ही कभी उजियारा होता है और न ही प्रेम और विश्वास का ही दीप जलाया जा सकता है। पुरुष का अहंकार और सामाजिक प्रदर्शन नारी की दुर्दशा का बहुत बड़ा कारण है।
पुरुष का अहंकार कहता है "मै बड़ा हूँ" "मेरी पूजा करो" "मुझे सम्मान दो" मुझसे महान कोई नहीं ।हिरन्यकश्यप, रावण, कंस इनमे इश्वर तुल्य शक्तियां थी तथा ये महान ज्ञानी प्रकांड पंडित और विद्वान थे परन्तु उनका विनाश सिर्फ इसलिए हुआ क्योंकि उनमे अहंकार था ।हिरन्यकश्यप का अहंकार तोड़ने नरसिंह अवतार हुआ , रावण का गर्व चूर-चूर करने राम का और कंस का अहंकार मिटाने श्री कृष्ण ने जन्म लिया।सामान्यतः पुरुषों के ही दंभ को चूर करने अवतारी पुरुष पृथ्वी पर जन्म लेते हैं .
उसने अपने परिवार, पति,माता-पिता आदि को पाप से बचाने के लिय सत्संग किया, जिससे जीवन शुद्ध,निर्मल और मर्यादित हो,और किसी बात का कोई अनावश्यक भय नहीं हो. जब भी सत्संगति ,भजन ध्यान का अवसर मिला उसने व्यर्थ नहीं गँवाया ।वस्तुतः अध्यात्मिक शक्तियां नव जीवनदायिनी ,सुखदायिनी और परम धाम की राह दिखने वाली होती हैं जो अपने सज्जन भक्तों की रक्षा करने उन्हें सुख देने लिए कई नए रूप रख कर अपना निश्छल प्यार उड़ेलती रहती हैं. जिसके फलस्वरूप जीवन में चमत्कार के कई रूप देखने मिलते हैं।
अपवाद स्वरुप कभी -कभी दुर्जन भी सज्जन प्रभाव से वशीभूत हो जाते हैं और अपना जीवन इश्वर तुल्य बना लेते हैं . भगवान् वाल्मीकि इसका साक्षात् उदाहरण हैं।
न कोई साधू न कोई शैतान दुनिया चलाते हैं सिर्फ दो ही इंसान .
ReplyDeleteएक जो सतकर्म करें वो सज्जन और एक जो बुरा कर्म करे वो दुर्जन....
TOO GOOD YAAR..... bahut acha laga pad kar....
ReplyDeleteaapne bade ki saral tareke se sangati and kusangati ka bardan karte hue hame sanskaro ki mahata byakt ki hai... and ladki ka example ki aache aacharan se ham kisi ka bhi dil jeet sakte hai...
ReplyDeletetoo good carry on
yh saty hi. manv man me hi shadu or setan hote hi jab manv ke man ka setan marta hi tabhi usko sachchi aatm sudhdhi prapt hoti hi
ReplyDeleteSundar rachana
ReplyDeleteकविता मे अद्वैत् की सुन्दर झलक है
ReplyDeleteअगर किसी नारी के साथ एसा होता है तो बात चिन्तनीय है हमारे शास्त्रकहते है की राम की तरह आचरन करो रावण की तरः नही
ReplyDeleteपुरुष तो होता ही अहंकारी है पर नारी पुरुष को सही रस्ते पर ला सकती है क्योकि भारत मे नारी धरं पत्नी होति है जो पति को पतन से बचाती है ओर धर्म मे लगाति है
ReplyDeleteअतः मनु लिखते है -
यत्र नरयस्तु पूजयन्ते रमन्ते तत्र देवताः!
यत्रैता न पूज्यन्ते तर सर्वा अफ़ला क्रिया!!
पुरुष तो अहंकारी होता ही है किन्तु नारी पुरुष को सही मार्ग पर ल सकती है भारतीय नारी को धर्म पत्नी कहते है जिसका अर्थ है पत्नी पति को पतन से बचाती है ओर धर्म मे लगति है अतःधर्म पत्नी कहलाती है मनु ने भी लिखा-
ReplyDeleteयत्र नार्यस्तु पूज्यन्ते रमन्ते तत्र देवताः! बिन नारी के पुरुष क कोइ अस्तित्व नही है शस्त्रो मे सभी नामो मे नारी क नाम पहले आता है जैसे सीताराम, राधेश्याम,गौरीशन्कर,आदि , मै तो कहना चाहूगा की
नारी की निन्दा मत करो नारी नर की खान! नारी से ही जन्मिया ध्रुव प्रहलाद समान !
Ladkiyan jab tak swayam apne kashton se joojhne ka saahas nahi dikhaayengi tab tak unhe doosaron par aashrit rehna padega.
ReplyDeleteआप सभी सुधीजनों की प्रतिक्रियाएँ और प्रोत्साहन हेतु हार्दिक धन्यवाद.
ReplyDeleteइंसान की पहचान उसके संस्कार और आचार से ही की जा सकती है .. अतः इंसान को सदैव आचरण की शुद्धता बनाये रखना चाहिए..
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