Wednesday, April 7, 2021

योग और सेवा :अप्प दीपो भव




योगगुरु के रूप में जब मैं इंजीनियरिंग कॉलेज मुंबई के एनएसएस के वोलेंटियर्स को प्रशिक्षण दे रही थी तब बहुत सी  घटनाएं  हुई  जो बहुत ही मधुर और अविस्मरणीय है। जिन्हें एक बार में लिखना तो बहुत मुश्किल है धीरे-धीरे टुकड़ों में लिखती रहूंगी। इस दौरान हमने छोटे छोटे गांवों के चहुंमुखी विकास के लिए बहुत सारे कार्यक्रम किए। 

एक सीनियर अनुभवी प्रोफेसर और मेडिकल इंजीनियरिंग डेंटल छात्र-छात्राओं की रेक्टर होने के बावजूद भी मैंने कुछ इंटरेस्टेड टीचिंग स्टाफ और नॉन टीचिंग स्टाफ और स्टूडेंट्स को योग हेतु प्रोत्साहित किया और सर्वांगासन हलासन भुजंगासन गरुणासन पद्मासन प्राणायाम सिखाया।हॉस्टल की छात्राएं भी जब बहुत ही ज्यादा तनावग्रस्त होतीं तो मैं उन्हें योग और ध्यान करने की शिक्षा देती। चौबीस घंटे एक ही परिसर में रहने की वजह से छात्राओं को योग सिखाना प्रबंधन की नजर में ब्राउनी पॉइंट स्कोर करने जैसा था परंतु योग कक्षा कंडक्ट करने के लिए मुझे उचित स्थान नहीं मिल रहा था। कभी कॉन्फ्रेंस रूम, कभी लॉबी, कभी गार्डन में लंचटाइम में या उसके बाद मैंने कुछ मेडिकल छात्राओं की सप्ताह में एक बार योग कक्षा  कंडक्ट की और योग कक्षा की स्थापना के बारे में प्रबंधन से बात की।

एनएसएस या राष्ट्रीय सेवा योजना के तहत राष्ट्र शक्ति का विकास युवाओं द्वारा किया जाता है।यह युवाओं की पर्सनैलिटी डेवलपमेंट  और स्किल डेवलपमेंट में बहुत सहायक होता है। बेज  में कोणार्क व्हील में आठ बार हैं जो दिन के 24 घंटे का प्रतिनिधित्व करते हैं  यानी 24 घंटों की अनवरत सेवा। बैज में लाल रंग इस बात को प्रतीक है  कि एनएसएस स्वयंसेवक रक्त से भरे हैं वे जीवंत, सक्रिय, ऊर्जावान और उच्च भावना वाले है। नौसेना का नीला रंग ब्रह्मांड का प्रतीक  है जिसमें एनएसएस एक छोटा सा हिस्सा है, जो मानव जाति के कल्याण के लिए अपने हिस्से का योगदान करने के लिए तैयार है।
योग और ध्यान के अलावा हमने (मुंबई यूनिवर्सिटी) स्वच्छता अभियान रेली निकलवाना,  गांवों के चौराहे पर स्वच्छता जागरूकता फैलाने हेतु वॉलिंटियर्स द्वारा नुक्कड़ नाटक करवा कर ग्राम वासियों को कचरा एक जगह इकट्ठा कर के डब्बे में डालने हेतु प्रोत्साहित करना।इस बात के लिए जागरूक करना कि कचरा या गंदगी में रहने से ही बहुत सारे रोग और बीमारियां फैलती हैं। शौचालय बनवाना, खानपान से संबंधित जागरूकता फैलाना, ब्लड डोनेशन, गांधी जयंती स्वतंत्रता दिवस, गणतंत्रता दिवस पर गेटवे ऑफ इंडिया में भजन संध्या का कार्यक्रम करवाना, महाराष्ट्र गवर्मेंट की और से ट्री प्लांटेशन करवाना , आदि प्रमुख थे।

नुक्कड़  एक  नाट्य विधा है, जो  रंगमंच   से भिन्‍न है । इसके लिए मंच की आवश्यकता नहीं होती। इसमेंंंं कलाकार नाच गाकर , अभिनय करके किसी सड़क, गली, चौराहे या किसी संस्‍थान के गेट अथवा किसी भी सार्वजनिक स्‍थल पर भीड़ एकत्रित करके किसी समसामयिक समस्या को रखतेे हैं। हमारे प्रिय और मेधावी सक्रिय कार्यकर्ता प्रियंका वाटकर के नेतृत्व में  नुक्कड़ द्वारा गांव की समस्या और उसके समाधान को रखने में सफल रहे उन्होंने परिस्थितियों और समस्याओं को नुक्कड़ द्वारा अभिव्यक्त किया । 
प्रभारी अधिकारी के रूप में एनएसएस में कार्य कर मुझे जो अनुभव हुआ वह इन पंक्तियों को साकार करता है।
किसी की मुस्कुराहटों पे हो निसार... 
किसी का दर्द मिल सके तो ले उधार....
किसी के वास्ते हो तेरे दिल में प्यार...
जीना इसी का नाम है.... 

मुंबई से थोड़ी दूर पर गुलसुंदे  नामका एक गांव है जहां पर बहुत पुराना लगभग 800 साल से भी ज्यादा पुराना शिव मंदिर है 

जो कि सिद्ध मंदिर के रूप में जाना जाता है और वही शिव मंदिर के पास पातालगंगा नाम की नदी बहती रहती है। यह गांव और मंदिर बहुत ही सुंदर और शांत स्थल है।  गांव वालों के साथ मिलकर गांव की प्रगति के लिए कार्य करना शुरू किया। 


हमारे वॉलिंटियर्स और स्टाफ मेंबर्स सभी एकजुट होकर घुल मिलकर इतने अच्छे से कार्यरत थे कि लगता ही नहीं था कि केवल आठ दिन के लिए यहां पर है।



यह युवाओं की पर्सनैलिटी डेवलपमेंट  और स्किल डेवलपमेंट में बहुत सहायक होता है।
सात दिनों तक शिविर में स्टूडेंट्स ने सेवा कार्य करते हुए लोगों को श्रमदान के लिए जागरूक किया।
 ग्राम वासियों को शिक्षा व स्वच्छता के प्रति जागरूक रहने की प्रेरणा दी। 

मेरे  योग प्रशिक्षण में, मुझे वॉलिंटियर्स  को बुनियादी सूर्य नमस्कार सिखाने के लिए कहा गया था, योग करवाने के लिए पूरी तरह से निर्देश की स्पष्टता, कक्षा के साथ संबंध बनाने की  क्षमता और वोलेंटियर्स के दिल से बोलने की हिम्मत देने की प्रेरणा एक अच्छे प्रशिक्षक का कर्तव्य था। 
प्रतिदिन सुबह सूर्योदय के समय के योग ध्यान भजन के दैनिक अभ्यास से सभी कार्यकर्ताओं में अंतः-शांति, संवेदनशीलता, अंतर्ज्ञान और जागरूकता और बढ़ती और वे ज्यादा परफेक्शन से कार्य करते। 
कई वोलेंटियर्स  का काम में मन नहीं लगता नई उम्र के  वोलेंटियर्स थे , उन सभी का मन पेंडुलम की तरह डोलता कि इस कार्य को करने में मुझे लाभ है कि नहीं । स्वाभाविक रुप से -  भूत से भविष्य, अफसोस और गुस्से से चिंता, एवम भय और ख़ुशी से दुख के बीच में झूलते रहता I योग आसन  और  सुखद वातावरण उन्हें जीवन में सामंजस्य समता बनाए रखने में सक्षम बनाता। 

योग आज के समय की सबसे बड़ी आवश्यक्ता है। यह केवल व्यायाम की प्राचीन पद्धति ही नहीं है बल्कि  कई शारीरिक मानसिक बीमारियों का समाधान भी है। योग गुरु के रूप में  वोलेंटियर्स से  सुबह मात्र कसरत करवाने से वोलेंटियर्स को दिनभर कार्य करने की ऊर्जा मिलती  थकान नहीं आती और  दिन भर कार्य करने के लिए शरीर का लचीलापन भी  बढ़ाता।
मेरी सुबह 5:00 बजे की योग कक्षा में सभी वॉलिंटियर्स बहुत ही अनुशासित और अपने कार्य के प्रति समर्पित रहते। 

वे योग का महत्व बहुत अच्छे से समझने लगे थे। योग आध्यात्म से ही संबंधित नहीं है यह एक पूर्ण विज्ञान हैI यह शरीर, मन, आत्मा और ब्रह्मांड को एकजुट करती हैI यह हर व्यक्ति को शांति और आनंद प्रदान करता हैI योग द्वारा वोलेंटियर्स  के व्यवहार, विचारों और रवैये में बहुत महत्वपूर्ण परिवर्तन आया।

एनएसएस गतिविधियों को विशेष रूप से खेल और युवा मामलों के मंत्रालय, सरकार द्वारा वित्त प्रदान किया जाता है।  सदस्यों से कोई शुल्क नहीं लिया जाता है। इस योजना को इस तरह से डिजाइन किया गया है कि विभिन्न सामाजिक गतिविधियों में विश्वविद्यालय से विभिन्न छात्रों को शामिल किया जाता है और उन्हें देश के आदर्श नागरिक बनने के लिए प्रोत्साहित किया जाता है।  एनएसएस स्वयंसेवकों को वर्दी और बैज पहनना अनिवार्य है। प्रकोष्ठभाग लेने वाले स्वयंसेवकों को कम से कम 240 घंटे नियमित गतिविधियों और दो साल की अवधि में एक विशेष शिविर पूरा करने पर प्रमाण पत्र प्रदान किया जाता है। छात्रों के अकादमिक कैरियर में सह-पाठ्यचर्या गतिविधियों में प्रमाणपत्र का महत्वपूर्ण मूल्य है।

राष्ट्रीय सेवा योजना का आदर्श वाक्य या दृष्टिकोण यह है: 'मुझे नहीं बल्कि आप'। यह लोकतांत्रिक जीवन के सार को दर्शाता है और निःस्वार्थ सेवा की आवश्यकता को बनाए रखता है और दूसरे व्यक्ति के दृष्टिकोण की सराहना करता है । यह स्पष्ट करता है कि एक व्यक्ति का कल्याण अंततः समाज के कल्याण पर निर्भर है। इसलिए,  एनएसएस के अपने दिन-प्रति-दिन कार्यक्रम में इस आदर्श वाक्य का प्रदर्शन  किया जाता है। 

एन एस एस प्रकोष्ठ  विभिन्न कार्यक्रम जैसे रोजगारोन्मुखी कार्यक्रम, स्वच्छ भारत अभियान (सफाई अभियान और क्षेत्र दौरान), ग्रीन वाक, रक्तदान शिविर, "राष्ट्रीय युवा उत्सव, स्वच्छता जागरूकता निर्माण  पर विशेष शिविर, टीसीएस रोजगार प्रशिक्षण कार्यक्रम, "छात्रों के समग्र व्यक्तित्व विकास" पर योग ध्यान कार्यशाला, विभिन्न भाषण, वाद- विवाद, निबंध प्रतियोगिताओं आदि पर कार्यशाला  आयोजित करता है।

योग मोटापा कम करने  में भी सहायक है ।  मोटापा कम करने  के नाम  पे कई जिमखाना और ट्रेनर  वर्कआउट के नाम पे शारीरिक अत्याचार करवाते है जिससे लाभ कि जगह हानि होती है। ट्रेनर कभी -कभी  ऐसे व्यायाम करवा देते हैं जो  शरीर के लिए हानिकारक सिद्ध होते है । शरीर को छरहरा रखना तभी संभव है जब हम कुछ जरुरी सावधानियां रखते हैं तब ही स्वास्थ्य एवं अन्य सुख प्राप्त कर पाते हैं।  

आजकल योग प्रशिक्षण कई संस्थाओं द्वारा किए जा रहे हैं। मुझे एक योग प्रशिक्षण शिविर याद है जो 2009, जनवरी जोगेश्वरी मुम्बई  में आर्ट ऑफ लिविंग  द्वारा योग गुरु श्री श्री रविशंकर जी के निर्देशन में करवाया गया।

आर्ट ऑफ लिविंग के बेसिक कोर्स को अब हैपीनेस प्रोग्राम कहा जाता है   जिसमेंं सुदर्शन क्रिया पर मुख्य ध्यान दिया गया।  मैंने यह अनुभव किया कि इस कोर्स में शारीरिक व्यायाम और ध्यान का पशिक्षण दिया जा रहा है। प्रशिक्षिका प्रमिला दीदी थीं। मैं इस विषय की पहले से ही जानकर रही हूं।
 इस  कोर्स से मेरी उम्मीदें पूरी नहीं हो पाई। मुझे ज्यादा की भूख थी परंतु बहुत कम मिला।


मै  योग ध्यान वाले फैमिली  कलचर से हूं। हमारे छोटे फूफाजी  विगत 50-60 वर्षों से बिलासपुर के जाने माने योगाचार्य के रूप में प्रसिद्ध हैं।बचपन से ही सूर्य नमस्कार ,प्राणायाम , कपालभाति करते आ रही हूं और हमारा परिवार शक्तिपात दीक्षा प्राप्त है सहज समाधि क्या होती है इसका ही अभ्यास या साधना हम ध्यान में करते आए हैं। जब भी बुआजी फूफाजी नरसिंहपुर आते हम फूफाजी को सुबह चार बजे से आसन योग ध्यान करते हुए पाते। उनका यह शेड्यूल आज भी कायम है इसलिए वे बहुत तेजस्वी हैं और शारीरिक रूप से पूर्ण स्वस्थ्य हैं। शांत स्वच्छ स्थल पर हम उन्हें आसन करते हुए देखते । वे आसन के लिए   स्वच्छ और साफ हवादार जगह का चयन कर आसन (चटाई) बिछा कर पद्मासन यानी पाल्थी मार कर बैठ जाते और फिर गहरी सांस लेते हुए आसन करना शुरू करते। 


5 comments:

  1. अत्यंत सटीक जानकारी प्रदान की है देवी योग साधकों के साथ ही साथ साधरण जीवन के हर क्षेत्र में उपयोगी है उचित तरीके से सब कुछ समझाने के लिए आपका आभार ।

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  2. भावना आप कमाल हैं। You are an extraordinary person and great human being. Best Regards. Sanjay

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  3. भावना, आपका मार्गदर्शन और मानवता के प्रति योगदान सराहनीय है। संजय शर्मा।

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  4. Very good post,came to know very deep and knowledgeable things about yog

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