Sunday, September 9, 2012

प्रेम




 ,
'द्वन्द' और 'मंथन' से 'अतृप्त' अंतस

 ढूंढता  है बस तेरा ही आश्रय 
 जीवन व्यथित ,  सांसे क्षणिक 
क्या  लाये थे क्या ले जाएंगे.
भटकता है मन फिर भी   जगत में
अपने अन्तर  में समेट लो 
ज्योति से परम -ज्योति कहलाऊं 
अब   क्यूँ नहीं  
छुड़वाते  'झंझावात' जगत के,
और ये संघर्ष समय के ।
जहाँ प्रतिपल परिवर्तन 
पर  शाश्वत हो तुम .
जहाँ  सुंगंध तुम और पुष्प  हूँ मै
जहाँ  प्राण तुम और  शरीर हूँ मै ,
जहाँ   स्वर तुम और  वीणा   हूँ मै .
जहाँ   सूत्र  तुम और  मोती  हूँ मै 
जहाँ प्रकाश  तुम और दीपक हूँ मै 
जहाँ ज्ञान  तुम और ग्रन्थ हूँ मै 

तब ,'अ' हट   जाए  'अहम्' से 
और 'मै' मिल जाये  तुममें
तब  बन जायेगी  'आत्मा'  , 'परमात्मा' 
विलीन हो कर तुम्हारे  अस्तित्व में 
ज्यो  सरिता समां जाय   सागर में 
ज्यो  किरणे समा जाय  सूरज में.
जब मिल जाओ तुम, हे जगवंदन !
 अश्रु गंगा जब  पग धो जाये,
विलीन हो जाये सब  'विकार' तुममे   
तब  न होगा 'अहम' का  बोध
वहां होंगे 'तुम' मुझमे और 'मै'  तुममे  
और  तब कहलायेंगे  'मै 'और 'तुम'  'हम' .
तब वहां 'अ'  हट जायेगा और रह जायेंगे  सिर्फ 'हम' 
 ज्योति  होगी  फिर परम-ज्योति 
जब प्राण तन से निकलेंगे  
और  तुझमे समां जाएंगे 
फिर  न होगी संसार की आस
और  न होगी कोई चाह 

20 comments:

  1. मैं निःशब्द.....भाव की गहनतम अभिव्यक्ति...

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  2. bahut sundar panktiya hein nice very nice...
    hey iswar jitna mai teri lilao ko dekhta hu utna hi achambhit ho jata hu aur tujhme kho jata hu aur tujh par vishwas bad jata hai.....

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  3. बहुत गहन और भक्तिमय अभिव्यक्ति...

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  4. too good speechless............. u r soo deep thinker

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  5. बेहतरीन रचना ।

    सादर
    ----
    ‘जो मेरा मन कहे’ पर आपका स्वागत है

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  6. Excellent piece of writing! Its a amalgamation of nature, body, materialism and spirituality that display the ego of post-modern world. It has a sense of spirituality in excellency as Emerson has in his poem " Bramha". I salute the lady Emerson of India.

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  7. Jahaan pratipal parivartan........bahut saarthak ant.....parivartan ke bandhan se vahi param satta mukt kara sakti hai.

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  8. sundar, gmabhir kavita, utam shabd chayan

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  9. बहुत सुन्दर
    बेहतरीन रचना..
    :-)

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  10. sabdo ki sundar lekhni se ahm ki saty ta ka sodhn kar jeewn ke parma nad ki tarf lejati kawita......

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  11. sabdo ki sundar lekhni se ahm ki saty ta ka sodhn kar jeewn ke parma nad ki tarf lejati kawita......

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  12. Sundar rachana kavita me adwaitvad ka sundar varnan hua hai

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  13. शब्दों ने की ध्वनी का नाद मन में गूंज रहा है ,बहुत खूब |

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  14. aa hat jaye aham se .... aur main mil jaye tum se:)
    bahut hi behtareen....
    kash aisa ho pata

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  15. likha to badhiya hai
    bas.. antarnad aanand ka ho

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  16. नवधा भक्ति में समर्पण एक अनिवार्य तत्‍व की तरह है...यह कविता इसी में रची बसी है। संत परंपरा में भी रैदास प्रभु को चन्‍दन और खुद को पानी मानकर परम आनंद की सुगंध महसूस करते हैं...। समर्पण प्रेम की पराकाष्‍ठा ही तो है, वह चाहे लौकिक स्‍तर पर हो या अलौकिक....। आपकी अभिव्‍यक्ति सहज है और भाव भी ग्राह्य....बधाई

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  17. आप सभी की प्रतिक्रियाएँ और प्रोत्साहन पाकर मन -मंदिर में बसे देवता को भाव पुष्प समर्पित करने हेतु शंख नाद गूँज उठा।

    यहाँ उपस्थित सभी सुधीजनों का हार्दिक धन्यवाद.

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  18. अहम्‌ के नाश से सत्य से साक्षात्कार हो सकता है।

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